Sunday, 25 January 2015

कौन कहता है ज़िन्दगी में मोआज़्ज़े नहीं होते !

छत वाले कमरे में अभी पुताई का काम बचा है। एक बार वो हो जाए तो माँ को उनके नए घर में ले आऊंगा। उससे पहले वकील साहब से इस मकान के सारे कागजात लेने हैं। कौन कहता है ज़िन्दगी में मोआज़्ज़े नहीं होते,कहाँ कल तक सर पे छत होने की एक मिनट की गारेंटी नहीं थी और आज एक मिनट में ये तीन BHK का मकान मेरा घर बन जायेगा।
लो, बाहर बारिश होने लगी। मुझे बारिश कभी पसंद नहीं थी, बचपन में हर बरसात के मौसम में छत से सारी रात टप टप पानी की बूंदे गिरती रहती थी और मुझे सूखे हिस्से में सुला कर माँ खुद हमारी भीगी सी किस्मत की तरह रात भर परेशान रहती। अक्सर लोगों को कहते सुना है की काश वो बचपन के दिन वापस आ जाते। पर मुझे आज पीछे पलट के देखने पे न तो मासूम कागज की कश्तियाँ याद आती हैं न ही बेफिक्र पतंगबाजी , याद आता है तो बस आपनी माँ को हर वक़्त जी तोड़ मेहनत करते देखना जिससे वो मुझे हर मुनासिब खुशी दे सके। टीन के बने उस छोटे से कमरे में जहां सूरज की किरणें भी भीतर जाने से कतराती थी मैं रोज़ ज़िन्दगी को दरवाजे के बाहर से गुजरते देखता था पर कमरे में चाहे जितना भी अँधेरा हो, अपनी माँ की आँखों में मैंने हमेशा एक उम्मीद का नूर देखा था। मेरे सुनहरे भविष्य की उम्मीद, तभी शायद एक एक पैसा जोड़ के उसने ग्यारवीं में मुझे boarding स्कूल भेज दिया। उससे अलग रहने के ख्याल से भी मुझे डर लगता था पर उसकी आँखों में देखी उस उम्मीद की खातिर मैंने सामान बांधा और उस नए से रास्ते पे निकल पड़ा। वैसे तो ज़िन्दगी ने मुझे ऐसे बहुत सारी यादें दी हैं जिन्हें मैं कभी याद नही करना चाहता पर मेरे दिमाग में एक ऐसी तस्वीर है जो मैं चाह कर भी भूल नहीं पाता । मेरे दाखिले के लिए माँ ने हर किसी के सामने हाथ फैला दिए। कहीं से जोड़ तोड़ के वो मुझे बस इस अँधेरी दुनिया से दूर भेज देना चाहती थी । जैसे तैसे मैंने उससे अलग होकर जीना सीख तो लिया पर अपनी माँ की उन लाचार आँखों को एक पल के लिये भी मैं भुला न पाया।
स्कूल के बाद मुझे एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल गया। मुझे लगा अपने माँ के सपने को पूरा करने की तरफ मैंने अपना पहला कदम लिया है पर फिर मुझे एहसास हुआ की मेरी सफलता भी उसके पाँव की बेड़ियाँ बन गयी थी । मुझे मिली स्कालरशिप के बावजूद कॉलेज की फीस लगभग एक लाख रुपये सालाना पड़ रही थी | इतनी बड़ी रकम दे पाना हमारे लिए नामुमकिन था | एक बार फिर मेरी वजह से मेरी माँ को लाचारी का सामना करना पड़ा | बैंक के कई व्यर्थ चक्कर काटने के बाद उसने वो किया जिसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया । मेरे लिए एक मुट्ठी आसमान की चाहत में उसने हमारी मुट्ठी भर ज़मीन बेच दी |
"कॉलेज के दिन" ये तीन शब्द शायद हर किसी के दिमाग पे उनकी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत दिनों की तस्वीर ले आते हैं पर मेरे लिए वो हर एक दिन मेरी माँ की मुस्कान के लिए लिया गया एक क़र्ज़ था जो मैं हर रोज़ अपनी चाहतों का गला घोंट के चुका रहा था । कीमती कपड़ों और दोस्तों के साथ घूमना फिरना तो मेरी फितरत में था ही नहीं। बस किसी तरह भीड़ में खुद को छुपा कर ये चार साल काट दिए |
 अरे लो बारिश भी बंद हो गयी । ये अतीत भी न क्या चीज है इतने पहले बीत चुका है पर हर आज में कभी भी अचानक से अपने होने का एहसास दिला जाता है पर किसी ने सच ही कहा है कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती। अब मेरा उस कल से कोई लेना देना नहीं है। उन चार सालों की जी तोड़ मेहनत ने मेरे लिए माँ के देखे हर सपने को पाने का रास्ता खोल दिया । लास्ट ईयर प्लेसमेंट्स के समय मेरी सोई हुई किस्मत ने करवट ले ही लिया और मेरी नौकरी एक बहुत अच्छी कंपनी में लग गयी । आज अपनी माँ को इस घर की चाभियाँ देकर उसकी आँखों में वो ख़ुशी देखना चाहता हूँ जिसकी एक झलक पाने के लिए मैं अब तक तरसता रहा हूँ । ये एक बहुत लंबा रास्ता है जो मैं उस एक झलक को पाने के लिए तय किया है, इस रास्ते पे कभी पीछे मुड़ के देखना भी नहीं चाहता।
हर वक़्त ये ज़िन्दगी कुछ न कुछ सिखाती रही
कभी आँखें मूँद के जाने दिया कभी हाथ थाम के चलाती रही
जब रास्ते धुंधला गए तो रक़ीब् बन गयी
कभी एक सवाल बन गयी कभी बस नसीब बन गयी
हम इसको सुलझाने चले, ये हमको सुलझाती रही
हर वक़्त ये ज़िन्दगी कुछ न कुछ सिखाती रही

PS: This was a post requested for dedication by a friend.

Friday, 18 July 2014

कुछ तो है जो हम पीछे छोड़ आये हैं !

रोज़ लेकर पाइप घंटों बगीचे से बतियाते थे
लेकर अखबार सवेरे सवेरे दुनिया घूम आते थे
फटाफट हेडलाइंस से ही आज काम चलाते हैं
एक मग्गा पानी गमले में डाल आते हैं |

कागज पे स्याही से हाल चाल बताते थे
लाल रंग के पोस्ट बॉक्स में चिट्ठी डाल आते थे
संदूक में एक कोना यादों का बनाते थे
रिश्तों की कीमत तो अब मोबाइल बैलेंस से बताते हैं
क्या करें आज-कल
तार और नेटवर्क में उलझे रह जाते हैं |

सजी थाल में प्यार डाल कर
पडोसी को खिलाते थे
दीवाली व न्यू ईयर पे ग्रीटिंग कार्ड भिजवाते थे
ऑनलाइन ही अब मुँह मीठा हो जाता है
दो सौ पैंसठ कैरक्टर्स में अब सब सिमट जाता है |

Monday, 3 March 2014

Snippets !


~ She was an every girl who dressed up each morning hoping that he will come along someday and find her eventually.
He was walking on a road unsure of any reason and sure of a reason,searching for happiness in wrong places.

~ She was a gleam of morning sunlight that makes its way through the creases of the curtain and fills the room with its soft yellow hue.
He was an audacious wind that blows off anything that comes in its way but confides in the branches of the old banyan tree across the street.

~ She was the mellow country music that gets stuck in your head and clings onto your thoughts for the entire day.
He was the lead vocalist in the heavy metal band that performs in the city café every thursday.

~ She was a cup of tea that starts your day and fills your brain with its pleasant aroma.
He was a shot of tequila, strong; one that gives you high and lands you in a world of tranquility.

~ She was an admirer of words, of paragraphs jeweled in royal blue ink on the glazed yellow pages of her diary.
He kept dainty bits of his dreams preserved, hidden from the world, in a hard bound journal.

~ She was the warmth he sought solace in.
He was the book she was longing to read.

~ She was the song he created by plucking the right strings of her heart in his parallel world.
He was the landscape she painted on a cool summer morning, sipping her favorite flavored milk.

~ She asked "What have I done good enough, that I found you?"
He kissed her on her forehead and answered "You kept looking."

Thursday, 20 February 2014

Bow down to the music albums of Lootera and Raanjhana. They have it all !



The year 2013 was a year of many multi-starrer, heavily budgeted movies; a year of hundred crore collections and some really great “out-of–the-box” creations. Also there were many unsuccessful attempts at sequels, comedies and action. But one thing that will make this year a memorable one was some beautifully written and composed music albums.
Amidst them were two very special albums. They were miraculous combination of flawless music, enchanting vocals, use of multi-instruments and above all spell-binding lyrics.
  • My first pick is the soul-soothing album by Amit Trivedi- Lootera wherein each song had its own aura. Each one dipped in jar of delightful music and wrapped with blissful lyrics. The album is a relaxed compilation of songs which are high on imagination and have a story to tell. Amitabh Bhattacharya had done a great job penning down the songs and it can be seen in each of the song.  
    The album has everything right from simplicity of words in the beautifully sung "Sawaar Loon"
 बरामदे पुराने हैं नयी सी धूप है | जो पलके खटखटा रहा है किसका रूप है “

        to depth of insightfulness in "Zinda hu yaar kaafi hai" .


  हवाओं से जो मांगा हिस्सा मेरा
तो बदले में हवा ने सांस दी
अकेलेपन से छेड़ी जब गुफ्तगू
मेरे दिल ने आवाज दी
         There is indeed a great sagacity of creation which can be seen in the every line of “Ankahee”
                                          
                                                                 " बारिशें नाराज़गी भी जता जाती है कभी कभी अम्बर की"

        and equally vivacious and playful are the words of “Manmarziyaan"

 "ज़िद की मारी ,भोली भाली मनमर्ज़ियाँ "|

       There are tracks that can blow your mind when it comes to perfectness of lyrics. “Shikayatein”is one such compilation. Every time I listen to it I am totally taken aback by the intelligence of writer and I can never praise it enough. However long it may make the post, I cannot refrain myself from posting the wonderful lyrics here.
~~ शिकायतें मिटाने लगी
सुबह बेदाग़ है... सुबह बेदाग़ है
जो बर्फ को गलाने लगी
कहीं वो आग है... कहीं वो आग है
 ना उड़ने की इस दफा ठानी ,परिंदों ने भी वफ़ा जानी
अंधेरों को बाहों में लेके 
उजाले ने घर बसाया है
चुराया था जो चुकाया है
  ~~
  • And the second wonderful magic was the creation of A R Rehman sir's Raanjhana. This album glorified love in its own way. Shot in the holy city of Benaras, the music has its own touch of regional charm and the obvious magic of “Rehmanian” effect; perfect to put on loop songs. Like almost every Rehman album there were some beautiful romantic tracks like ‘nazar laaye na’ and ’tum tak’ along with the expected sufiana andaaz in ‘piya milenge’ and ‘benarasiyaa’ and high energy track ‘raanjhana hua main tera’. It is being said that Rahman's voice has never sounded more lovable than what it is in ‘aise na dekho’. 
Coming to my favorite part, the lyrics of every track weaves a melodious story in itself. It is simple , sober yet heart melting. The wordings take you to a romantic tour nevertheless the tracks do not become a love cliche. It's a delight to listen to something like:

·         ~~  मैंने हारा मैं तेरा सारा मैं
   मीठा मीठा तू खारा खारा मैं
       तेरा सारा मैं.. सारा मैं ~~ 
or
·         ~~ मेरे दिल की बात जाने कायनात
तेरे दिल की खबर बस मुझको ~~
  or
तुम तक तुम तक अर्ज़ी मेरी, फिर चाहे जो मर्ज़ी तेरी 

Very deserving and critically acclaimed, both these albums have a freshness of their own. Like I said. they have it all !
 

Monday, 10 February 2014

I heart HIMYM !

My all time favorite sitcom "How I met your Mother" is advancing towards its finale and it kind of makes me feel nostalgic and sad. I was introduced to this amazing series five years ago by a friend and after that there was no looking back. Over the years as the story developed and as we got to know more and more about our beloved characters, a connection was developed with each one of them. The love struck Lily-Marshall, the hopeful Ted Mosby, the beautiful Robin and obviously the awesome Barney Stinson.  Each episode unfolds a new reason to love it. It may have been labeled as a comedy series but it’s a perfect blend of every spice. It raises a toast to love and celebrates friendship. It gives you directions in life; it makes you never give up on hoping. In words of Ted Mosby “For the most part if you’re really honest with yourself about what you want out of life, life gives it to you.” It talks of mistakes, of destiny and of how everything turns out to have happened in your favor at the end.
 Apart from this, HIMYM has given us some really fun theories like “ the hot crazy scale”, “the bro code”, “ the cheerleader effect”, “the ohh moment”, “the glass shattering realization”, “the NRS or the new relationship smugness, “the theory of reacher and setller in every relationship” and it turns out that we’ve loved all of them. Oh how religiously have I believed in the concept of “The Jinx”.
These little things. They are priceless, ask a HIMYM fan. Be it the various high fives of Barney  or Marshall’s patented phrase Lawyered or Lily’s “you are dead to me look” or  the “But ummm” by Robin or my favorite “Ohh honey”.
 Not only the comedy is spot on, the acting is top-notch. We have amazing actors who have really brought life to the characters. One more thing that makes the show special is the background score. The right song for every moment. I proudly own a separate playlist of those awesome songs that have perfected the show. Some episodes have become our favorite and it’s refreshing every time you watch them. The thing about HIMYM is that its greatest flaw has also always managed to be an asset. Even a not so good episode does not make us loose our interest and enthusiasm to watch the season (and I talk of the real himym lovers like me) and it is because there are million other reasons that still fuel the show and just like Barney, I gots to know what happens in the end.
Lately, the last season was going on a little slow and a little less delightful than the previous seasons but like Ted, we have been eternally optimistic that something better is around the corner, that something great is about to happen, that we're about to turn a corner. We’ve traveled along this journey with many ups and down. We’ve watched them behave completely senseless at times and we’ve had the wisest things come out of their mouths. We’ve witnessed Barney turn from a Bimbo guy to someone who made Robin agree to marry. We’ve seen Ted watch his hope lessen a little every day and still never lose it completely.
The latest buzz in the show is the entry of 'The Mother'. Sadly it had disappointed most of us. Actually with the development of story over years, we were sure that anyone who'll finally be selected to play the role would be someone who will instantly make us fall in love with her but sadly 'Christin Milloti' failed to make that right first impression. She maybe a great actor but was a disappointment because we'll have to 'make us' like her. The immediate connection which was expected, the magic, was missing. The character was awesome enough to already make anyone like her, all we needed was a girl who could carry that yellow umbrella perfectly. Anyways eventually we will accept her as Ted's dream girl. It happens. For instance most of us didn’t like "Alysen" as Lily in beginning of show but lets admit with every episode we’ve watched, we’ve fallen for the quirky little Lily Aldrin. Also the episode 16 has allowed Christin to make justice to the character like we had expected. It was a beautiful episode and it has again raised the bar of our show.
Well, we are really looking forward for more great episodes ahead and a wonderfully spinned story. The journey has been wonderful and the thought of "The End" is really sad. 
As it turns out, How I Met Your Mother is one big beautiful "wait for it ...," journey.